बच्चों के मौलिक अधिकार

 



बच्चों के मौलिक अधिकार उनके विकास और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये अधिकार उन्हें स्वतंत्रता, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलने का अधिकार, और समानता के अधिकार प्रदान करते हैं। इन अधिकारों का पालन समाज के उच्चतम मूल्यों में से एक है।


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(3) के अंतर्गत, बच्चों के मौलिक अधिकारों को संरक्षित किया गया है। इसके अनुसार, बच्चों को उनके विकास और सुरक्षा के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। ये अधिकार उन्हें जीवन की अधिकतम संभावनाओं के साथ संपन्न करने का मौका प्रदान करते हैं। इसमें उनका अधिकार शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलने, खिलाने, और समानता की प्राप्ति का है। यह अनुच्छेद उनकी समान और निर्बाध विकास के लिए उन्हें सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करने का भी संविधानिक आधार है।

16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के पांच मौलिक अधिकार हैं:


1. जीवन: बच्चों को जीवन के हक का अधिकार है, जिसमें उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ रहने का अधिकार होता है।

2. स्वतंत्रता: उन्हें स्वतंत्रता का अधिकार होता है, जिसमें उन्हें अपनी राय व्यक्त करने, सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से अपने विचारों को व्यक्त करने का अधिकार होता है।

3. शिक्षा: उन्हें शिक्षा का अधिकार होता है, जिसमें उन्हें स्कूली और गैर-स्कूली शिक्षा की प्राप्ति का अधिकार होता है।

4. संरक्षण: उन्हें संरक्षण का अधिकार होता है, जिसमें उन्हें हानि, उत्पीड़न और शोषण से सुरक्षित रखने का अधिकार होता है।

5. खेलने: उन्हें खेलने का अधिकार होता है, जिसमें उन्हें खेलने, खेल के आनंद लेने और संघर्ष करने का अधिकार होता है।



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